बरेली के मुगर्रे, पिट्सबर्ग की रसोई से - इन्टरनेट पर पहली बार
एक दिन यूं ही बैठे-बैठे मुगर्रे खाने का मन किया तो फेसबुक पर एक शब्द का स्टेटस लिखा, "मुगर्रे"। अब यहाँ पित्त्स्बर्ग में मुगर्रे नहीं मिले, यह तो स्वाभाविक सी बात है लेकिन जब इन्टरनेट पर ढूँढना शुरू किया तब बहुत निराशा हुई। मिलना तो दूर, गूगल और बिंग जैसे खोज इंजनों को उनका नाम भी नहीं पता, न रोमन में, न नागरी में। जब मित्रों को बताने के लिए मुगर्रों का चित्र ढूँढना चाहा, तो फिर से वही बेबसी का आलम है। पूरे इन्टरनेट पर रत्ती भर भी जानकारी नहीं। नसीब वाले हैं वे जो रूहेलखण्ड (या अमृतसर) में रहे और वहाँ के मुगर्रे (या मूंगरे) का नाम और स्वाद जानते हैं। रूहेलखण्ड क्षेत्र के मित्रों को चाहिए था कि बरेली-बदायूँ के आला दर्जे के मुगररों का चित्र लगाते ताकि मित्र लोग पहचान पते।
कुछ मित्रों ने वर्णन के आधार पर उन्हें बूंदी समझा। अधिक स्पष्टीकारण के बाद कुछ नमकीन बूंदी तक पहुंचे। हक़ीक़त यह है कि मुगर्रों का बूंदी से कोई वास्ता नहीं होता। बूंदी ठोस, चिकनी छोटी, बेमसाला और समान आकार की होती है जबकि मुगररे खस्ता, हल्के, मसालेदार, नमकीन, मोटे, और अनियमित आकार के होते हैं। निष्कर्ष यह निकाला कि नमकीन बूंदी में भी सोडा प्रयोग होता है और वह भी छोटे छोटे छेद से बन जाने के कारण खस्ता और करारी बन जाती है, परन्तु वह है एक भिन्न पकवान।
अतुल शर्मा से बात होने पर पता लगा कि बरेली, बदायूं के अलावा उन्होने अमृतसर में भी मुगर्रे खाये हैं जिन्हें वहाँ मूंगरे कहा जाता था। एक फेसबुक मित्र ने जापान से बताया कि उन्हें बचपन में इनका सबसे आसान नाम बेसन के आलू लगता था।
फाइनली, दिल्ली में मम्मी से बात करके बनाने की विधि पूछी। इसी बीच भाई श्री नीरज हरि पाण्डेय ने भी सामाग्री और विधि भेज दी। दोनों ने जैसे बताया उस प्रकार से पिट्सबर्ग की रसोई में मुगर्रे बनाए गए। मुगररे में मोटा बेसन प्रयोग होता है साथ ही थोड़ा मोयन भी पड़ता है (घी या रिफाइंड)जो भी प्रयोग करें थोड़ा गर्म। मीठा (खाने वाला) सोडा का प्रयोग उसके खस्तेपन के लिए।
मुगर्रा (बहुवचन मुगर्रे) = बेसन का बना एक नमकीन पदार्थ। बरेली-बदायूं में नमकीन के अंग के रूप में और स्वतंत्र रूप से भी खाया जाता है।
सामग्री:
मोटा बेसन, साबित काली मिर्च, हींग, नमक
घी (या उचित विकल्प, रिफाइंड तेल आदि)
उचित पात्र यथा कढ़ाई, तसला और दो करछुली (कड़छी), एक बड़े छेद वाली, बेसन घी में डालने के लिए और दूसरी बने हुए मुगर्रे कढ़ाई से निकालने के लिए
विधि:
1) मोटे बेसन में काली मिर्च, हींग और नमक को स्वादानुसार मिला लीजिए
2) इस चूर्ण में पानी मिलाकर हमवार घोल बना लीजिये
3) घी को एक पात्र में गरम करके बेसन के घोल में मोयन के रूप में मिला लीजिये
4) एक कढाही में पाक माध्यम के लिए समुचित मात्रा में घी या तेल गरम कीजिये
5) सही तापक्रम आने पर कढ़ाई के ऊपर मोटे छिद्रों वाली कढ़छी या छलनी द्वारा बेसन के घोल को मोटी-मोटी एकसार बूंदों के रूप में गरम घी में गिराते रहिए
6) अच्छी तरह भुने हुए मुगर्रों को दूसरी करछुली से निकालकर एक बर्तन में रखते जाइए।
खाने योग्य तापक्रम पर आने पर मुगर्रों को चाय और नमकीन के साथ परोसिए और आनंद लीजिये इस डिश का, जिसे हम आपके लिए पहली बार इन्टरनेट पर लेकर आए हैं।
[चित्र व आलेख: अनुराग शर्मा :: Article and photographs: Anurag Sharma]
अतुल शर्मा से बात होने पर पता लगा कि बरेली, बदायूं के अलावा उन्होने अमृतसर में भी मुगर्रे खाये हैं जिन्हें वहाँ मूंगरे कहा जाता था। एक फेसबुक मित्र ने जापान से बताया कि उन्हें बचपन में इनका सबसे आसान नाम बेसन के आलू लगता था।


सामग्री:
मोटा बेसन, साबित काली मिर्च, हींग, नमक
घी (या उचित विकल्प, रिफाइंड तेल आदि)
उचित पात्र यथा कढ़ाई, तसला और दो करछुली (कड़छी), एक बड़े छेद वाली, बेसन घी में डालने के लिए और दूसरी बने हुए मुगर्रे कढ़ाई से निकालने के लिए
विधि:
1) मोटे बेसन में काली मिर्च, हींग और नमक को स्वादानुसार मिला लीजिए
2) इस चूर्ण में पानी मिलाकर हमवार घोल बना लीजिये
3) घी को एक पात्र में गरम करके बेसन के घोल में मोयन के रूप में मिला लीजिये
4) एक कढाही में पाक माध्यम के लिए समुचित मात्रा में घी या तेल गरम कीजिये
5) सही तापक्रम आने पर कढ़ाई के ऊपर मोटे छिद्रों वाली कढ़छी या छलनी द्वारा बेसन के घोल को मोटी-मोटी एकसार बूंदों के रूप में गरम घी में गिराते रहिए
6) अच्छी तरह भुने हुए मुगर्रों को दूसरी करछुली से निकालकर एक बर्तन में रखते जाइए।
खाने योग्य तापक्रम पर आने पर मुगर्रों को चाय और नमकीन के साथ परोसिए और आनंद लीजिये इस डिश का, जिसे हम आपके लिए पहली बार इन्टरनेट पर लेकर आए हैं।
[चित्र व आलेख: अनुराग शर्मा :: Article and photographs: Anurag Sharma]
अच्छा ,तो ये बेसन के बनते हैं - नाम से लगा था मूँग दी दाल पीस कर बनते होंगे !
जवाब देंहटाएंFROM MY CITY, I ALSO MISS IN MUMBAI
जवाब देंहटाएंfrom my city, I also miss in mumbai
जवाब देंहटाएंI also miss in mumbai
जवाब देंहटाएंराजस्थान में भी हर जीमन(परंपरागत भोज) में ऐसी पकौड़ियाँ जरूर बनती हैं .इनके साथ बूँदी और मिर्च के टिपोरे आवश्यक रूप से शामिल होते हैं.
जवाब देंहटाएंमुझे मुग़र्रे बहुत पसंद हैं , मैं बरेली कोहाड़ापीर से हूँ , हरिद्वार में बीकानेरवाला से मुग़र्रे लिये लेकिन यह फ़र्क़ देखा कि काली मिर्च गायब हो गई और सोडा बढ़ गया था ।
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